१. योगासन एवं योग व्यायाम पद्यति का अभ्यास सदैव खाली पेट करें।
२. शांत एवं शुद्ध वातावरण में अभ्यास करें।
३.प्रातःकाल शीघ्र आठ बजे तक अभ्यास कर लेना लाभप्रद होता है।
४. सायंकाल अभ्यास हेतु दोपहर भोजन के कम से कम चार घण्टे बाद सूर्यास्त के समय अभ्यास कर सकते हैं।
५.आसनों को करते समय चेहरे पर तनाव नही होना चाहिए।
६.अपने शारीरिक क्षमता के अनुसार आसन की अंतिम अवस्था मे आईय।
७. झटका देकर आसन अभ्यास न करें।लयबद्ध तरीके से आसन अभ्यास करें।
८. आसनों में श्रम होने पर 30 सेकेंड से 1 मिनट तक विश्राम कर सकते हैं।
९. कठिन परिश्रम (व्यायाम) करने के आधे घण्टे बाद या आसनों के आधे घण्टे बाद कठिन श्रम कर सकते हैं।
१०. आसन की अंतिम अवस्था मे स्थिरता सुखानुभूति होनी चाहिए।
११. सरल अभ्यास क्रम को अपनाते हुए धीरे धीरे कठिन अभ्यास क्रम को अपनाएं।
१२. देखा देखी अभ्यास न करें,योग्य शिक्षक के निर्देशन में कीजिये।
१३. आसनाभ्यास के पूर्व स्नान करने से अभ्यास सरलता से होता है।
१४. आसनाभ्यास या योगाभ्यास के आधे घण्टे बाद ही स्नान करें।
१५. अभ्यास के कम से कम 45 मिनट पूर्व एक गिलास जल पिया जा सकता है।
१६. अभ्यास के आधे घण्टे बाद ही कुछ खाएं पियें।
१७. सदा आसनों के सरल अभ्यास क्रम अपनाते हुए अभ्यास करें।
१८. सभी आसनों के अंत मे 5 मिनट शवासन करें।
१९.मयूरासन,मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास महिलाएं न करें।
२०. आसनाभ्यास के समय मन को शरीर के उस स्थान पर लगाये,जहां पर क्रिया हो रही है।
२१. आसनों को करते समय मुख बंद रख कर नासिक से श्वसन कीजिये।
२२. शरीर की रूग्णावस्था में आसनाभ्यास न करें।
२३. आसनों को धीरे धीरे बढ़ाये एक साथ अधिक आसन न करें।
२४. प्रत्येक आसन में श्वास की क्रिया सामान्य या सामने झुकने वाले आसनों में स्वास बाहर निकालिए एवं पीछे मुड़ने वाले अभ्यासों में भीतर लीजिए।
२५. शलभासन में अधिक देर रुकने के अपेक्षा इसका 3 से 7 बार अभ्यास करना उपयुक्त होगा।
२६. अभ्यासी को सादा सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए।