एक कहावत है – नदी सामने बह रही है और लोग प्यासे होकर भटक रहे हैं। कुछ ऐसा ही है इस लेख में।

अतः इसे पूरा ध्यान से पढे और अपने सपने को साकार कर जीवन को आनंद से भर लें।
एक अनोखा शिव-मंत्र जिसे कुछ ही लोग जानते हैं। पर, परीक्षा शायद किसी ने की नहीं हो। मैं उसी मंत्र की चर्चा कर रहा हूँ। इस मंत्र को बताने से पहले मैं कुछ अनोखी बात करना चाहता हूँ। – आपने स्वामी समर्थ जी महाराज का नाम सुना होगा। कुछ लोग शायद यह नाम जानते भी नहीं होंगे। मैंने भी पहले सिर्फ नाम जाना था।–
दरअसल हुआ यह कि मैं जानना चाहता था कि स्वामी समर्थ जी महाराज किनकी साधना करते थे जिनसे उन्हें ईश्वरीय शक्ति आ गयी थी। – शोध करने के बाद एक चीज सामने आयी। स्वामीजी अक्सर एक मंत्र बोला करते थे। जब भी कहीं वे अपने भक्तों को दर्शन देते या कल्याण करते तो वह मंत्र बोलते थे। —
वह मन्त्र तो नहीं कहा जा सकता पर निरंतर स्वामी जी के बोलने से वह वाक्य मंत्र बन गया। इस प्रकार के बनाए शब्द समूह को यदि बार बार दुहराया जाए तो वह मंत्र बन ही जाता है जो अक्सर इस प्रकार के मंत्रों को शाबर मंत्र कहते हैं। तब मैं उस मंत्र की परीक्षा की। तीन माह में परिणाम दिख पड़ा। तब मैं जान गया कि स्वामी समर्थ जी महाराज कौन सी साधना कर ईश्वर-तुल्य हुए। मुझे जो उस मन्त्र से चमत्कारिक—
परिणाम मिले उससे मैं दंग रह गया। गुप्तता बरतने के कारण अपने अनुभव को शेयर नहीं रहा हूँ। – मैं तो यही कहूंगा क़ि जिन्हें सच्ची शिव-भक्ति करनी हो, चमत्कारिक अच्छे परिणाम देखने हों. अपने जीवन को आनंद से भर देना हो और स्वामी समर्थ जी की तरह कल्याणकारी चमत्कारिक शक्तियां अर्जित करना हो तो उस मंत्र की साधना कम से कम तीन माह अवश्य करें। मेरा अब मानना-
है कि उस मंत्र जो जीवन भर के लिए अपना लिया जाए तो अति सुन्दर। ध्यान की अवस्था मे शांत मन से प्रतिदिन मानसिक जप करने से अद्भुत अनुभव प्राप्त होते है।

 

स्वामी समर्थ जी महाराज की अद्भुत देन।
स्वामी समर्थ जी महाराज अक्सर एक वाक्य कहा करते थे जो मूल स्वरुप में वह मंत्र ही था या मंत्र बनकर सिद्ध हो चूका था। इसी मंत्र के सहारे वे शिव-तुल्य हो गए थे। मैंने उस मंत्र की परीक्षा की जिससे ज्ञात हो पाया कि वह मन्त्र में अद्भुत शिव-कृपा छिपी हुई है।  आइये -इस मंत्र को जानते हैं।

मूल-मंत्र है –

जय शिव हर शंकर , नमामि शिव शंकर शम्भो, हे गिरिजापति भवानी शंकर , शिव शंकर शम्भो। –

इसी मंत्र की परीक्षा की गयी जो देखने में मंत्र जैसा नहीं लगता पर लगातार उक्त वाक्य की पुनरावृति करने के कारण यह मंत्र का एक शक्तिशाली रूप ले लिया।
श्रद्धा और भक्ति से जप होना चाहिए और मन में कोई लालसा नहीं रखनी चाहिए। कठिनता या जीवन में कोई समस्या उत्पन्न हो जाने पर इस मंत्र को अपनाकर शीघ्र कठिनता से उबार सकते हैं। ज्यादा लिखना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है।

उक्त मंत्र को श्रद्धा और भक्ति रखने वाले साधकों को ही देना चाहिए।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *