योग व्यायाम पद्यति साधने से पूर्व कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बाते

१. योगासन एवं योग व्यायाम पद्यति का अभ्यास सदैव खाली पेट करें। २. शांत एवं शुद्ध वातावरण में अभ्यास करें। ३.प्रातःकाल शीघ्र आठ बजे तक अभ्यास कर लेना लाभप्रद होता…

योग

योग शब्द संस्कृत के युज् धातु से बनता है जो युज् समाधौ के अर्थ में प्रयुक्त होता है।योग को समाधि के अर्थ में प्रयुक्त किया गया है - योगः समाधिः'…

शारीरिक स्थिरता से मानसिक स्थिरता में प्रवेश एवं मानसिक शक्ति का विकास –

शारीरिक स्थिरता से मानसिक स्थिरता में प्रवेश एवं मानसिक शक्ति का विकास - जैसा कि पिछले पाठ में आप सभी ने जाना कि किस प्रकार ध्यान का अभ्यास शुरू किया…

स्वांस परिवर्तन से जीवन परिवर्तन यात्रा –

  मैं यहां मान कर चल रहा हु की आप सभी को यह लेख प्राप्त होते ही आप इसके अनुसार अपने दिनचर्या में कर्मानुसार यह अभ्यास जोड़ेंगे और दिए गए…

प्रणायाम

  अब प्राणों का निरोध अर्थात प्रणायाम की विधि पर बात करते है।शरीर मे संचरण करने वाली वायु को प्राण कहा जाता है,उसे जब प्रणायाम के द्वारा स्थिर किया जाता…

परा,पश्यंती,मध्यमा,वैखरी वाणी एवं उनके भेद –

  शरीर मे स्थित वाणी परारूप में अंकुरित होती है,पश्यंती रूप में होती,मध्यमा में अग्रगामी होती और वैखरी रुप में आकर पूर्ण विकसित हो जाती है।इस वाणी का जिस तरह…

आत्मदर्शन एवं उसे जानने की विधि –

  जब मनुष्य कामनाबद्ध होकर विषयो की ओर दौड़ता है,उस समय विषयो को प्राप्त करते हुए कामनाएं बढ़ती जाती है।इसलिए विषय और कामना दोनो से अलग होकर (आत्मा में ध्यान…

बन्धो का परिचय-

प्रथम को मूलबन्ध,दृतिय को उड्डियान बन्ध और तीसरे को जालंधर बन्ध कहते हैं।अब उनके लक्षण अर्थात साधना विधि समझते हैं। मूलबन्ध - शरीर के अधोभाग में विचरण करने वाले अपान…

कुंडलिनी एवं शक्तिचालिनी क्रिया (भाग 1) –

कुंडलिनी एवं शक्तिचालिनी क्रिया (भाग 1) - प्रमुख शक्ति कुंडलिनी कही गई है,बुद्धिमान साधक उसे चालन क्रिया के द्वारा नीचे से ऊपर दोनो भृकुटियों के मध्य ले जाता है, इसी…