अभी तक हम लोगो ने नाड़ियों के बारे में,उनके उदगम, लक्षण, प्रभाव और बदलने की प्रक्रिया को समझा।
अब हम अपनी रोज के जीवन मे और किस प्रकार से इसका फायदा उठा सकते है ये जानते है।
1. अगर व्यक्ति बाहर जा रहा हो तो चंद्र नाड़ी और लौटते या प्रवेश करते समय सूर्य नाड़ी शुभ कहि गयी है।
2. चंद्र नाड़ी को स्त्री और सूर्य नाड़ी को पुरुष माना गया है।चंद्र नाड़ी का रंग सफेद और सूर्य नाड़ी का वर्ण काला है।इसलिए चन्द्रनाड़ी के प्रवाह के समय शुभ कार्यों को करना अच्छा होता है।
3.सूर्य नाड़ी के समय क्रूर कार्यों को करना चाहिए।
4. सुषुम्ना नाड़ी के प्रवाह के समय भोग और मोक्षदायक कार्य करना अच्छा होता है।
5. पक्षो के हिसाब से बताए गए स्वर चल रहे हो तो कोई भी शुभ कार्य शुरू करें अन्यथा न करें।
6. बुद्धिमान व्यक्ति रात को चन्द्र स्वर को कभी भी न प्रवाहित करें।इसी प्रकार दिन को सूर्य स्वर को भी न चलाएं।ईस प्रकार नित्य अभ्यास करते रहने से व्यक्ति योगी बन जाता है।
7. चंद्रमा के स्वर से दिन का प्रारंभ और सूर्य के स्वर से उसका अंत यदि हो तो इस प्रकार के स्वरों के प्रवाह के द्वारा अनेक शुभ फल उत्पन्न होते है।
यदि इसके विपरीत प्रवाह रहा हो तो उस समय कोई भी शुभ काम न करें।