1.वृहस्पतिवार, शुक्र,बुध और सोमवार को यदि चंद्र स्वर चल रहा हो तो सभी शुभ कार्यो में सिद्धी प्राप्त होती है।खास कर यदि शुक्ल पक्ष में उक्त वारो में चन्द्र नाड़ी चले तो विशेष सिद्धि प्राप्त होती है।
2. यदि सूर्य नाड़ी रवि,मंगल और शनिवार को चले और उसका स्मरण कर यदि क्रूर आदि कार्य किया जाए तो सिद्धि प्राप्त होती है।वह कार्य कृष्ण पक्ष में उक्त वारो में हो तो सिद्धी निश्चित ही प्राप्त होती है।
3 .दाहिना स्वर चलने पे पश्चिम और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा नही करनी चाहिए।
4 .बायीं नाड़ी के प्रवाह के समय पूर्व और उत्तर दिशा के ओर यात्रा नही करनी चाहिए।
5 जिस समय सूर्योदय के समय सूर्य स्वर और चंद्रोदय के समय चंद्र स्वर चलता हो उस दिन रात में किये गए कार्य सिद्ध होते है।
6 . सूर्योदय के समय चंद्र और चंद्रोदय के समय सूर्य स्वर चलता हो तो उस समय कलह ,हानि ,अथवा दुख आदि होते है।इस प्रकार शुभ कर्म न करना चाहिए।
7. विद्वान लोग कहते है कि सूर्य स्वर के प्रवाह के समय सूक्ष्मतम एवम कठिन विषय का भी ज्ञान अवश्य ही प्राप्त होता है।इसके विपरीत चंद्र स्वर के प्रवाह के समय उक्त विषयों का ज्ञान नही होता।
8 . चन्द्र स्वर के प्रवाह के समय बायां पांव आगे रखकर और सूर्य स्वर के समय दाहिना पैर आगे रख कर घर से निकलने आए यात्रा करने से संपूर्ण कार्य मे सफलता मिलती है।
9. सुबह उठते समय जिस ओर का स्वर चल रहा हो उसी ओर के हाथ स्व अपने मुख को स्पर्श करने से ईष्ट फल प्राप्त होता है।
10.योगाभ्यास,ध्यान,सौम्य साधनाएं चन्द्र स्वर में करने से श्रेष्ठ सिद्धि प्राप्त होती है।
11 . क्रूर,तामसिक,उग्र साधनाओं में सूर्य स्वर सिद्धि दिलाने वाला होता है।
धन्यवाद।।