आज हम बात करेंगे स्वयं की अंतर्चेतना एवं सुषुप्त शक्तियों को जागृत करने हेतु
कुछ ध्यान प्रयोग पर जो आपके सुषुप्त डीएनए को जागृत करने में सहायक होती है।
डीएनए का विषय अत्यधिक जटिल है अतः इसके बारे में संछेप में यही बोलूंगा की इसमे आपकी समस्त विरासत एवं सम्भावनाये निहित होती है यह अत्यधिक शक्तिशाली सम्भावनाये आपके अंदर उपलब्ध करा सकता है।डीएनए के बारे में भौतिक तथ्य आप गूगल पर पढ सकते हैं।
आईय जानते है इसके लिए शुरुवाती प्रक्रिया क्या रहेगी।
हमारे पुराने संकल्प ,क्रियाकलाप एक उर्जात्मक रूप में हमारे सम्भावनाओ को नियंत्रित कर रही होती है।इस नियंत्रण को सर्वप्रथम एक दिशा देना आवश्यक होता है अतः प्रतिदिन रात्रि ध्यान करें एवं ध्यान के दौरान स्थिर शरीर और चित्त के साथ नीचे दिए गए संकल्प प्रार्थना को दोहराए।
★ मैंने जब से इस भूमि पर जन्म लिया है तब से अब तक जाने या अनजाने में सभी जीवित प्राणियों को कष्ट,बाधा,भय दिया हो तो मेरी मन से इक्षा है कि वे सभी आत्म स्वरूप मुझे क्षमा करें।
★ मेरे सभी बीते जन्मों में अगर किसी ने मुझे मानसिक या शारीरिक रूप से ,बुद्धि या आत्मिक रूप से हिंसा पहुचाई हो तो मैं उन सभी को अपने सारे शरीरों से मुक्त करते हुए मन से क्षमा करता हु।
यह आप सभी को प्रतिदिन करना है सूक्ष्म रूप में अध्यन करने पर पाया गया निरंतर 3 माह तक इस प्रकार ध्यान करने पर आप बहुत हल्के महसूस करने लगेंगे आपकी आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति होने लगेगी।
आपके सुषुप्त शक्तियों को आप महसूस करना प्रारंभ करेंगे।
यह प्रार्थना जितना आसान दिख रहा है उतना है नही जब आप करेंगे तो स्वयं इसें महसूस करेंगे अतः इसे अगर प्राप्त किया है तो जीवन मे अवश्य उतारें।
अब आपको प्रातः हेतु एक ध्यान प्रयोग बताता हूं जिस प्रकार रात्रि हेतु ऊपर ध्यान प्रार्थना बताया नीचे जो बता रहा हु वो प्रातः करना है अतः दोनो समय ध्यान हेतु समय अवश्य निकालें।
★ शांति से बैठ जाये धीरे धीरे गहरी स्वांस लें।अपने हृदय चक्र पर ध्यान लगाएं और धीरे धीरे गहरी स्वांस लें।अब अपने सारे चक्रों को नीचे से ऊपर, ऊपर से नीचे देखें कुछ समय के लिए।अब ये करने के बाद कुछ समय के लिए अनुभव करें पृथ्वी की सतह जहाँ आप बैठे हैं उस धरती के ठीक नीचे गहराई में पृथ्वी का केंद्र है और वहां स्थित ऊर्जामय स्वरूप में पृथ्वी शक्ति का ऊर्जा केंद्र बिंदु है उसे बिंदु से आपके सभी चक्र नीचे से ऊपर की तरफ जुड़े हुए है एवं सभी चक्र एक स्थिति में बने हुए हैं।
यह विचार ध्यान में रखे हुए गहरी स्वांस ले और बाहर निकाले।
अब इसी अवस्था मे बैठे हुए यह प्रार्थना करें।
★ मेरा सहस्त्रार चक्र स्वाभाविक स्थिति में विश्व शक्ति के प्रकाश को अपने अंदर सम्पूर्णता के साथ समाहित कर रहा है और इसे महसूस भी करते चले।
★ यह महसूस करें कि यह प्रकाश शरीर के हर अणु और परमाणु अवस्था मे प्रवेश कर रहा है।
★ महसूस करें यह प्रकाश अणु और परमाणु में हर डीएनए को रिपेयर कर रहा है और पुनः सक्रिय कर रहा है।
★ मन मे बोले यह प्रकाश डीएनए में स्थित 12 अग्नि अक्षरों में पूरी अवस्था तक विकसित हो।
★ मन मे बोले इन अग्नि अक्षरों में स्थित संदेश का फिर से पुनरुद्वार हो।
★ मन में बोले अधिक प्रकाश को स्वीकार कर अपनी ऊर्जा को सशक्त करने ज लिए मैं तैयार हूं।
★ इस प्रकाश के द्वारा 2 सूत्र के डीएनए से 12 सूत्र के डीएनए की अवस्था तक पूरी तरह से परिवर्तित हो जाए।
★ कुछ देर बाद परमशक्ति को धन्यवाद करें उनके अनुग्रह हेतु।
इसके बाद गहरी स्वांस ले एवं कुछ देर तक कुम्भक लगाये फिर धीरे धीरे आंखों को खोलते हुए उठे इसके बाद धरती के सम्पर्क में न आये आधे घन्टे तक चप्पल इत्यादि पहने।
जिनकी आध्यात्मि और भौतिक गति/उन्नति किसी भी वजह से रुकी हो वे सब खुल जाएंगे।
धन्यवाद
प्रशान्त पांडेय