आध्यात्मिकता स्वयम में जागृत हो जाने का एक अनजाना मार्ग –
अध्यात्म के गूढ़ से गूढ़ तथ्यों पर हमेशा ही प्रशान्त पांडेय जी के द्वारा चर्चा की जाती है इसी प्रक्रिया में इस लेख में अध्यात्म के अनजाने मार्ग के विषय मे बात की गई है। जब उनसे पूछा गया कि आप इसे अनजाना मार्ग क्यों कहते हैं जबकि इस मार्ग के विषय मे तो अक्सर लोग बड़े बड़े दावे करते हैं।
प्रशान्त पांडेय जी का इस विषय पर कहना है कि अध्यात्म एवं आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के तो कई मार्ग बताए गए है एवं अधिकतर लोग स्वयं को अध्यात्मिक होने का दावा करते हुए भी नजर आते है परंतु होता इसका ठीक विपरीत है।अनेको ऐसे व्यक्ति हैं जो सामान्य जीवन व्यापन कर रहे है एवं बिना आडम्बर अध्यात्म उनके अंदर घटित हो चुका है।यह बताने या जता देने वाली कोई क्रिया नही है अपितु आपके व्यक्तित्व एवं चेतना को ऊँचाई पर पहुचा देने वाली घटना है।वर्तमान समाज मे बहुत से ऐसे लोग है अनजाने स्वरूप में उनके अंदर आध्यात्मिकता घटित हो चुकी है और वो उसके आनंद को महसूस करते रहते है लेकिन अध्यात्मिक होने का न अलग से दावा करते हैं न दिखावा।शब्दो के जाल से बाहर निकल कर ही इसके अनुभूतियों का आनंद लिया जा सकता है।आत्मिक स्तर पर ही इसे समझा या समझाया जा सकता है क्योंकि बौद्धिक स्तर पर तो ये पुनः शब्दो और आडम्बरो में फंस कर प्रमाणिकता और क्रियाओं के बंधन में जकड़ कर रह जाता है।मैं यह जरूर मानता हूं कि अंतर्चेतना का विकास , सजगता एवं बोध के लिए अनिवार्य है की किसी न किसी मार्ग पर चला जाये लेकिन उस मार्ग को ही लक्ष्य मान लेना और उसी को आध्यात्म समझ लेना ,स्वयं एवं स्वयं से जुड़े सभी लोगो को भटका देने जैसा है।
मार्ग भक्ति का हो,ध्यान योग का हो या फिर कोई से भी हो जब आध्यत्म घटित होता है तो इसको शब्दो मे व्यख्या कर देना या कैसे इसमे सफलता मिली इस विषय मे बात कर पाना भी कठिन हो जाता है। सच्चा अध्यात्म बाह्य एवं अन्तः क्रांति लाने में सक्षम है ये भौतिकता और आध्यात्मिकता दोनो ही स्तर पर एक बड़ा परिवर्तन लाता है।अतः जिस अध्यात्म को आज कमजोरी और आडम्बर का स्वरूप दिया जा रहा वो तो दूर दूर तक अध्यात्म नही ,अध्यात्म की अनजाने मार्ग को कोई स्वरूप नही दिया जा सकता यह केवल अनुभूत किया जा सकता है और एक बड़ा परिवर्तन स्वयं और दूसरो के जीवन मे लाता है।