ध्यान शोर से शांति की तरफ की यात्रा

कभी कभी समाजिक एवं व्यवहारिक जीवन मे हम पाते है कि हम कुछ परिस्थितियों में इस तरह से उलझ जाते है कि हम अंदर से छोटी छोटी चीजो को लेकर भयभीत एवं चिंतित रहने लगते हैं।यह भय एवं चिंता हमारे जीवन मे एक अनसुना शोर को जन्म देते हैं जो कानो में सुनाई तो नही देते लेकिन हमारे दिमाग को हमेशा अपने प्रभाव में रखते हैं। हम हमेशा जीवन मे एक प्रतियोगिता से गुजर रहे होते है जिसे ज्यादा अच्छे से करने की तैयारी में हम अपने जीवन मे इस अनजाने शोर गुल को पैदा करते है ।सबसे आश्चर्य की बात तो ये रहती है कि जिस चीज को बेहतर बनाने में ये शोर हम अपने जीवन मे पैदा करते है यह उस चीज को और बदतर बना देता है।यह उलझन व्यक्ति को कुछ इस कदर अपने आगोश में लेती जाती है की उसे भान भी नही रहता और हमेशा के लिए एक अशांत दुनिया का हिस्सा बन जाता है।
ऐसी स्थिति में ध्यान रूपी अनमोल विद्या जो कि शुरुआती स्तर पर सुनने और समझने में तो एक सामान्य सी क्रिया लगती है लेकिन व्यक्ति के जीवन मे घट जाने के बाद इस शोर से शांति की तरफ ले जाने वाली औषधि बन जाती है।
भौतिक स्तर पर अगर देखा जाए तो आप पाएंगे कि ध्यान को जीवन मे उतारने के बाद व्यक्ति अपने कार्य क्षमता में उन्नति तो करता ही है और साथ ही साथ पूर्ण रूप से अंदर से शांत और उत्साह से भरा रहता है।व्यक्ति विशेष के द्वारा किये जा रहे किसी भी क्षेत्र के अभ्यास में उसे कुशल और धैर्यवान बनाता है।वर्तमान युग मे अधिकतर सफल लोगो ने किसी न किसी प्रकार से ध्यान को अपने जीवन मे उतार लिया है और अभी ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद पी वी सिंधु ने ध्यान किस प्रकार से उपयोगी है इस तरफ इशारा किया।
ध्यान एक उत्तम मार्ग है खुद के अंदर झांकने एवं खुद के असीम स्तर को समझने की।यह साधारण सा किया जाने वाला कोर्स नही अपितु एक उत्तम क्रिया है जो कि सतत अभ्यास के बाद अक्रिया बन के व्यक्ति के मूल अस्तित्व के साथ घटित हो जाती है।यह आपकी चेतना स्तर को भौतिकता के साथ साथ आध्यात्मिक स्तर पर इतना उन्नत बनाता है कि आप भौतिक सम्पन्नता लिए अपने अंदर सहज और सुंदर व्यक्तित्व का विकास करते हैं।इस प्रकार के व्यक्ति की सम्पन्नता उसके खुद के साथ साथ समस्त जीवो को भी लाभ पहुचाती है।

प्रशान्त जी कहते है कि ध्यान ही एक ऐसी प्रक्रिया है जिसपे कभी भी किसी को कोई आपत्ति नही हुई और हमेशा हर धर्म मे ध्यान के प्रकाश को अनुभव किया गया और इसके महत्व को जाना गया।अब समय है कि वर्तमान समय मे सभी इसके सतत अभ्यास से इसे आत्मसात करें और एक उच्च चेतन व्यक्तित्व के साथ खुद का और दूसरो का कल्याण करें।

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