मैं यहां मान कर चल रहा हु की आप सभी को यह लेख प्राप्त होते ही आप इसके अनुसार अपने दिनचर्या में कर्मानुसार यह अभ्यास जोड़ेंगे और दिए गए निर्देश अनुसार अपने अभ्यास क्रम को आगे बढ़ाएंगे।

प्रथम दिन आप सभी को बताये गए निर्देश अनुसार कार्य करना है।

एक माह में 15-15 दिन के दो पक्ष पड़ते हैं जिसे हम शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के नाम से जानते है।

अब हमें ध्यान रखना है कि नीचे दिए हुए क्रम अनुसार प्रातः सूर्योदय के समय अपनी स्वांस की जांच करनी है।आगे लिखने से पूर्व आप सभी को बता दु की एक समय मे हमारी एक तरफ की नाक से ही स्वांस सहज रूप से आया जाया करती है अर्थात एक समय मे दाहिने अथवा बाए तरफ किसी एक तरफ स्वांस अच्छे से चलती है उसके दूसरी तरफ की नाक में स्वांस कुछ बाधित रहती है। बस आपको प्रातः सूर्योदय के समय इसी की जांच करनी है कि किस तरफ स्वांस अच्छे से चल रही है।नीचे क्रम आप सभी को बताया जा रहा है

शुक्ल पक्ष – पहले,दूसरे एवं तीसरे दिन बायीं तरफ की नाक से स्वांस अच्छे से चलनी चाहिए (सूर्योदय के समय जांच करें)।बायीं तरफ की नाक से जब स्वांस अच्छे से आ रही -जा रही हो तो इसे हम चन्द्र स्वर/इड़ा नाड़ी चलना कहते है।

अब तीन दिन के बाद चौथे,पांचवे एवं छठे दिन सूर्योदय के समय दाहिने तरफ की नाक से स्वास अच्छे से चलनी चाहिए।दाहिने तरफ़ के नाक से जब स्वांस अच्छे से आ रही हो – जा रही हो तो इसे हम सूर्य स्वर/पिंगला नाड़ी चलना कहते है।

अब इसी प्रकार क्रम चलना चाहिए सातवे,आठवें एवं नौंवे दिन पुनः चन्द्र स्वर चलना चाहिए।

दसवें,ग्यारहवें,बारहवें दिन सूर्य स्वर।

तेरहवें ,चौदहवें एवं पन्द्रहवें दिन चन्द्र स्वर।

आप सभी को यह क्रम पूरे शुक्ल पक्ष में जांच करनी है।

ऐसे ही जब कृष्ण पक्ष शुरू हो तो शुरू के तीन दिन सूर्य स्वर और ऊपर के क्रम के अनुसार हर 3 दिन पश्चात अलग स्वर चलना चाहिए।यह आप सभी को हर रोज जांच करना है।अगर आप सबने इस पर पकड़ बना ली तो समझिए आपकी आध्यात्मिक यात्रा को शुरुवाती बल मिल गया।

यह क्रम क्यों आवश्यक है ?

प्रातः सूर्योदय के समय हमारे ऊर्जा शरीर मे बेहद मूलभूत परिवर्तन हो रहे होते है।नींद को एक छोटी मृत्यु की संज्ञा दी गई है गहरी नींद मृत्यु के सामान है और प्रातः उठना एक नया जीवन। नए जीवन मे नई ऊर्जा के साथ कई प्रकार के आवश्यक परिवर्तन सूर्योदय के साथ सूक्ष्म रूप से हो रहे होते है अगर यह परिवर्तन हमारे चेतना पर क्रमिक रूप से स्वाभाविक दिशा में हो तो जीवनी ऊर्जा बिना किसी विकार के आगे बढ़ती है।इसका सीधा प्रभाव हमारे प्राण से जुड़ा हुआ है जो सूक्ष्म रूप से स्वांस प्रस्वास की क्रिया से जुड़ा हुआ है।अगर सूर्योदय के समय हमारे ऊर्जा परिवर्तन में किसी प्रकार का विकार आता है एवं जीवनी ऊर्जा किसी प्रकार से बाधित होती है तो इसका भान हमे अपने स्वांस प्रस्वास से पता चलता है।

अब जानते है आगे की बात अगर ऊपर के बताए गए क्रम के अनुसार हमारे स्वांस का क्रम चल रहा हो तो समझना चाहिए कि सब ठीक है लेकिन अगर ऊपर बताये क्रम में किसी प्रकार की दिक्क्त आ रही हो अर्थात बताये गए क्रम के अनुसार अगर दाहिने एवं बाए नाक से आते जाते स्वास क्रम में परिवर्तन आ रहा हो तो समझना चाहिए कि सामान्य जीवन मे कई प्रकार के कठिनाई से गुजरना पड़ सकता है।यह विधि व्यक्ति को स्वयं का ज्योतिष बना देता है और इसका समाधान भी उसके पास रहता है।

अब जानते है अगर स्वास ऊपर बताये हुए क्रम में न चले तो क्या करें –

जैसा कि आप सभी को बताया गया है कि अगर स्वास ऊपर बताई गई क्रम अनुसार न चले तो समझना चाहिए कि आगे आने वाले 15 दिन में कुछ कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है वह कठिनाई कुछ भी हो सकती है।अब जानते है एक उदाहरण के द्वारा मैन लीजिए शुक्ल पक्ष की पहली तिथि है आप प्रातः उठे और आपने जांच की अपने स्वांस की और पाया कि दाहिने तरफ से ज्यादा अच्छे से स्वांस आ रही है।अब जब आप ऊपर के बताए गए क्रम देखेंगे तो पाएंगे कि शुक्ल पक्ष की पहली तिथि में सूर्योदय के समय बाएं तरफ की नाक से स्वास अच्छे से चलनी चाहिए लेकिन उसके विपरीत आपके दाहिने तरफ से चल रही है ,इस समय अगर हम अपनी स्वांस की बदल लें अर्थात जिसमे चलनी चाहिए उसमें चला लें तो सारी प्रकृति आपकी उर्जात्मक रूप से आपके अनुकूल हो जाएगी।

अब जानते है कि स्वांस को एक नाक से दूसरे नाक में कैसे बदला जा सकता है –

अगर आपको दाहिने तरफ के नाक से स्वास अच्छे से चल रही है और बाएं तरफ की नाक से स्वास थोड़ा अवरोध है लेकिन क्रम के अनुसार आपको बाए नाक से स्वास चलानी है तो आप अगर दाहिने करवट हो कर थोड़ी देर लेट जाएंगे तो स्वतः आपकी स्वांस बाए तरफ के नाक से अच्छे से चलने लगेगी और दाहिने तरफ में अवरोध आ जायेगा।

अगर स्वास बाए तरफ अच्छे से चल रही हो दाहिने नाक से ठीक से नही चल रही हो लेकिन आपको अपनी स्वास को ऊपर बताये गए क्रम के अनुसार दाहिने नाक से ठीक से चलाना है तो आप बाए करवट हो कर थोड़े देर लेट जाएं स्वांस स्वतः दाहिने नाक से अच्छी चलने लगेगी।

ऊपर बताये गए क्रम को दिमाग मे रखें अगर उस क्रम के हिसाब से स्वास चल रही हो तो बहुत अच्छा एयर अगर उस क्रम के हिसाब से स्वांस नही चल रही हो तो आप स्वांस बदल कर अपने उर्जात्मक स्थिति को बदल सकते है इससे आपके आध्यात्मिक यात्रा में जो भी आप योग-ध्यान का अभ्यास करने वाले है उसपर मूलभूत रूप से बहुत गहरा असर पड़ेगा और आपके अंदर स्वतः एक दिव्य घटना घटित होनी प्रारम्भ हो जाएगी।

आपको इसके अलावा और कही कोई दिमाग नही लगाना है बस जो बताया गया उतना समझ लें और अपने जीवन मे उतार लें इसके अलावा अन्य चीजो में न उलझें क्योंकि स्वांस का विज्ञान बहुत ज्यादा विस्तृत है।

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